गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 246

गीता माता -महात्मा गांधी

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3 : गीता का अध्ययन


गीता का अध्ययन शुरू किया। एक छोटा-सा ‘जिज्ञासु-मंडल‘ भी बनाया गया और नियमपूर्वक अध्ययन आरंभ हुआ। गीता जी के प्रति मेरा प्रेम और श्रद्धा तो पहले ही से थी। अब उसका गहराई के साथ रहस्य समझने की आवश्यकता दिखाई दी। मेरे पास एक-दो अनुवाद रखे थे, उनकी सहायता से मूल संस्कृत समझने का प्रयत्न किया और नित्य एक या दो श्लोक कंठ करने का निश्चय किया।

सुबह का दतौन और स्नान के समय मैं गीताजी कंठ करने में लगाता। दातौन में 15 और स्नान में 20 मिनट लगते। दातौन अंग्रेजी रिवाज के मुताबिक खड़े-खड़े करता। सामने दीवार पर गीता जी के श्लोक लिखकर चिपका देता और उन्हें देख-देखकर रटता रहता। इस तरह रटे हुए श्लोक स्नान करने तक पक्के हो जाते। बीच में पिछले श्लोकों को भी दुहरा जाता। इस प्रकार मुझे याद पड़ता है कि 13 अध्याय तक गीता कंठ कर ली थी, पर बाद में काम की झंझटें बढ़ गईं। सत्याग्रह का जन्म हो गया और उस बालक की परिवरिश का भार मुझ पर आ पड़ा, जिससे विचार करने का समय भी उसके लालन-पालन में बीता और कह सकते हैं कि अब भी बीत रहा है।

गीता-पाठ का असर मेरे सहाध्यायियों पर तो कुछ पड़ा हो, वह वही बता सकते हैं, किन्तु मेरे लिए तो गीता आचार की एक प्रौढ़ मार्गदर्शिका बन गई है। वह मेरा धार्मिक कोश हो गई है। अपरिचित अंग्रेजी शब्द के हिज्जे या अर्थ को देखने के लिए जिस तरह मैं अंग्रेजी कोश को खोलता, उसी तरह आचार-संबंधी कठिनाइयों और उसकी अटपटी गुत्थियों को गीता जी के द्वारा सुलझाता। उसके अपरिग्रह, समभाव इत्यादि शब्दों ने मुझे गिरफ्तार कर लिया। यही धुन रहने लगी कि समभाव कैसे प्राप्त करूँ, कैसे उसका पालन करूँ?

जो अधिकारी हमारा अपमान करे, जो रिश्वतखोर हैं, रास्ते चलते जो विरोध करते हैं जो कल के साथी हैं, उनमें और उन सज्जनों में, जिन्होंने हम पर भारी उपकार किया है, क्या कुछ भेद नहीं है? अपरिग्रह का पालन किस स्त्री-पुरुष आदि यदि परिग्रह नहीं तो फिर क्या है? क्या पुस्तकों से भरी इन अलमारियों में आग लगा दूं? पर यह तो घर जलाकर तीर्थ करना हुआ। अन्दर से तुरंत उत्तर मिला, ‘‘हां, घरबार को खाक किये बिना तीर्थ नहीं किया जा सकता।’’ इसमें अंग्रेजी क़ानून के अध्ययन ने मेरी सहायता की। स्नेल-रचित क़ानून के सिद्धान्तों की चर्चा याद आई।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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