गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 169

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
बारहवां अध्याय
भक्तियोग


पुरुषोत्तम के दर्शन अनन्‍य भक्ति से ही होते हैं, भगवान के इस वचन के बाद तो भक्ति का स्‍वरूप ही सामने आना चाहिए। यह बारहवां अध्‍याय सबको कंठ कर लेना चाहिए। यह छोटे-से-छोटे अध्‍यायों में एक है। इस में दिए हुए भक्त के लक्षण नित्‍य मनन करने योग्‍य हैं।

 
अर्जुन उवाच
एवं सततयुक्‍ता ये भक्‍तास्‍त्‍वां पर्युपासते।
ये चाप्‍यक्षरमव्‍यक्‍तं तेषां के योगवित्तमा:।।1।।

अर्जुन बोले-

इस प्रकार जो भक्त आपका निरंतर ध्‍यान धरते हुए आपकी उपासना करते हैं और जो आपके अविनाशी अव्‍यक्‍त स्‍वरूप का ध्‍यान धरते हैं, उनमें से कौन योगी श्रेष्‍ठ माना जायगा ?

श्रीभगवानुवाच
मय्यावेश्य मनो ये मां नित्‍ययुक्‍ता उपासते।
श्रद्धया परयोपेतास्‍ते में युक्‍ततमा मता:।।2।।

श्रीभगवान बोले-

नित्‍य ध्‍यान करते हुए, मुझमें मन लगाकर जो श्रद्धापूर्वक मेरी उपासना करता है उसे मैं श्रेष्‍ठ योगी मानता हूँ।

  
ये त्‍वक्षरमनिर्देश्‍यमव्‍यक्‍तं पर्युपासते।
सर्वत्रगमचिन्‍त्‍यं च कूटस्‍थमचलं ध्रुवम्।।3।।
संनियम्‍येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धय:।
ते प्राप्‍नुवन्ति मामेव सर्वभूतहिते रता:।।4।।

सब इंद्रियों को वश में रखकर, सर्वत्र समत्‍व का पालन करके जो दृढ़ अचल, धीर, अचिंत्‍य, सर्वव्‍यापी, अव्‍यक्‍त, अवर्णनीय, अविनाशी स्‍वरूप की उपासना करते हैं, वे सारे प्राणियों के हित में लगे हुए मुझे ही पाते हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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