गीत गोविन्द -जयदेव पृ. 35

श्रीगीतगोविन्दम्‌ -श्रील जयदेव गोस्वामी

प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर

अथ प्रथम सन्दर्भ
अष्टपदी
1. गीतम्

Prev.png

तव करकमलवरे नखमद्भुतश्रृंगम्।
दलितहिरण्यकशिपु-तनुभृंगम्‌।
केशव धृत-नरहरिरूप
जय जगदीश हरे ॥4॥

छलयसि विक्रमणे बलिमद्भुतवामन
पद-नख-नीर-जनितजनपावन।
केशव धृत-वामनरूप
जय जगदीश हरे ॥5॥

क्षत्रिय-रुधिरमये जगदपगत-पापम्
स्नपयसि पयसि शमित-भवतापम्।
केशव धृत-भृगुपतिरूप
जय जगदीश हरे ॥6॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीत गोविन्द -श्रील जयदेव गोस्वामी
सर्ग नाम पृष्ठ संख्या
प्रस्तावना 2
प्रथम सामोद-दामोदर: 19
द्वितीय अक्लेश केशव: 123
तृतीय मुग्ध मधुसूदन 155
चतुर्थ स्निग्ध-मधुसूदन 184
पंचम सकांक्ष-पुण्डरीकाक्ष: 214
षष्ठ धृष्ठ-वैकुण्ठ: 246
सप्तम नागर-नारायण: 261
अष्टम विलक्ष-लक्ष्मीपति: 324
नवम मुग्ध-मुकुन्द: 348
दशम मुग्ध-माधव: 364
एकादश स्वानन्द-गोविन्द: 397
द्वादश सुप्रीत-पीताम्बर: 461

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः