विषय सूची
श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
पञ्चम: सर्ग:
आकांक्ष-पुण्डरीकाक्ष:
एकादश: सन्दर्भ
11. गीतम्
पद्यानुवाद बालबोधिनी- सखी श्रीराधा जी को स्पष्ट कर रही है कि यदि तुम्हें मेरी बातों पर विश्वास न हो तो वहाँ से आती हुई श्रीकृष्ण की वंशी की टेर सुन लो, तुम्हारा ही नाम लेकर वह तुम्हें मिलन का संकेत दे रही है। श्रीकृष्ण इसी प्रकार से तुम्हें राह बता रहे हैं। यदि तुम्हें यह आशंका है कि वहाँ जाने पर प्रतारणा होगी, किसी अन्य रमणी के साथ उनका अभिसार होगा तो तुम्हारी शंका निर्मूल है क्योंकि बालू के उन कणों को भी रत्न जानकर वे अति सम्मान कर रहे हैं जो तुम्हारे चरणों के आघात से हवा के साथ उनके पास पहुँचे हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
सर्ग | नाम | पृष्ठ संख्या |