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श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर
बालबोधिनी - गीतगोविन्द नामक इस प्रबन्ध में श्रीराधा-माधव की ऐकान्ति की प्रेममयी निकुञ्ज लीला का चित्रण किया गया है। रचनाकार महाकवि श्रीजयदेव गोस्वामी ने श्रीराधामाधव की स्मर केलि-लीला का वर्णन कर उन दोनों की सर्वश्रेष्ठता स्थापित की है। ग्रन्थ कृति के प्रारम्भ में श्रीकविराज जी ने तमालवृक्ष के तम:पुञ्ज द्वारा समाच्छादित कुञ्ज-भवन में श्रीराधा-माधव की प्रविष्टि का चित्रण किया है। परम प्रेयसी श्रीराधा अपनी सखी के वचनों का स्मरण कर श्रीकृष्ण को साथ लेकर कुञ्ज में प्रवेश कर जो सुख क्रीड़ाएँ करती हैं, उन्हीं को मंगला चरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है। ग्रन्थ का प्रतिपाद्य-तत्त्व श्रीराधामाधव की लीलामाधुरी है; अत: यह प्रबन्ध सभी के लिए मंगलदायी और कल्याणकारी है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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सर्ग | नाम | पृष्ठ संख्या |