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प्रस्तावना
(ठ)
श्रीचैतन्य चरितामृत में श्रीरायरामानन्द संवाद में श्रीरामानन्द के मुख से श्रीमन्शचीनन्दन गौरहरि के प्रश्नों के उत्तर में कहा है
- प्रभु कहे,-'साध्यवस्तुर अवधि' एइ हय।
- तोमार प्रसादे इहा जानिलूँ निश्चय॥
- 'साध्यवस्तु' 'साधन' बिना केह नाहि पाय।
- कृपा करि कह, राय, पावार उपाय॥
- राय कहे,-जेइ कहाओ, सेइ कहि वाणी।
- कि कहिये भाल-मन्द, किछुइ ना जानि॥
- त्रिभुवन-मध्ये ऐछे हय कोन धीर।
- जे तोमार माया-नाटे हइबेक स्थिर॥
- मोर मुखे वक्ता तुमि, तुमि हओ श्रोता।
- अत्यन्त रहस्य, शुन, साधनेर कथा
- राधाकृष्णेर लीला एइ अति गूढ़तर।
- दास्य-वात्सल्य-भावे ना हय गोचर॥
- सबे एक सखीगणेर इहा अधिकार।
- सखी हइते हय एइ लीलार विस्तार॥
- सखी बिना एइ लीला पुष्ट नाहि हय।
- सखी लीला विस्तारिया, सखी आस्वादय॥
- सखी बिना एइ लीलाय अन्येर नाहि गति।
- सखीभावे जे ताँरे करे अनुगति।
- राधाकृष्ण-कुञ्जसेवा-साध्य सेइ पाय।
- सेइ साध्य पाइते आर नाहिक उपाय॥
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