गंगा-तट आए श्रीराम -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग
अहल्योद्धार


  
गंगा-तट आए श्रीराम।
तहाँ पषान रूप पग परसे, गौतम रिषि की बाम।
गई अकास देव तन धरिकै, अति सुंदर अभिराम।
सूरदास प्रभु पतित-उधारन-बिरद, कितौ यह काम।।22।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः