ऊष्मप हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार पितरों का एक गण कहा जाता है।
- तीनों लोकों के पितृगण दक्षिण दिशा में प्रतिष्ठित हैं तथा 'ऊष्मप' नामक देवताओं का निवास भी इसी दिशा में सुना जाता है।[1]
- पितरों के साथ विश्वेदेवगण सदा दक्षिण दिशा में ही वास करते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 26 |
- ↑ महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 109 श्लोक 1-15
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