ऊधौ हम आजु भई बड़ भागी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग घनाश्री


  
ऊधौ हम आजु भई बड़ भागी।
जिन अँखिनि तुम स्याम बिलोके, ते अँखिया हम लागी।।
जैसै सुमन वास लै आवत, पवन मधुप अनुरागी।
अति आनंद होत है तैसै, अंगअंग सुख रागी।।
ज्यौं दरपन मैं दरस देखियत, दृष्टि परम रुचि लागी।
तैसै ‘सूर’ मिले हरि हमकौं, बिरहबिथा तनत्यागी।। 2532।।

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