ऊधौ लहनौ अपनौ पैयै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग


ऊधौ लहनौ अपनौ पैयै।
सोइ होइ जो रच्यौ विधाता, और न दोष लगैयै।
कीजै कहा कहत नहिं आवै, सोचि हृदै पछितैयै।
मोहन सौ वर कुबिजा पायौ, हमकौ जोग बतैयै।।
आज्ञा होइ सोइ पै कीजै, विनती यहै सुनैयै।
'सूरदास' प्रभु तृषा बढ़ी अति, दरसन सुधा पियैयै।।3908।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः