ऊधौ नूतन राज भयौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


ऊधौ नूतन राज भयौ।
नए गुपाल नई कुबिजा बनी, नूतन नेह ठयौ।।
नए सखा जोरे जादवकुल, अरि नृप कंस हयौ।
नूतन नारि नए पुर कीन्हौ, तिन अपनाइ लियौ।।
बिसरे रास विलास कुंज सब, अपनी जाति गयौ।
'सूरदास' प्रभु बहुत बटोरी, दिन दिन होत नयौ।।3973।।

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