उर बैजती सोभा अति बनी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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उर बैजती सोभा अति बनी।
चरननि नूपुर कटि तट किंकिनी।।
किंकिनी कटि चरन नूपुर सब्द सुदर कूजई।
कोकिला कल हंस बाल रसाल तिनहिं न पूजई।।
तुरी ताजी बिना ताजन चपल चपला श्री हरी।
जीन जरित जराव पाखरि लगी सब मुक्ता लरी।।

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