अहो कान्ह यह बात तिहारी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग अड़ाना


अहो कान्ह यह बात तिहारी, सुख ही मैं भए न्यारे।
इक संग एक समीप रहत हैं, तिन तजि कहाँ सिधारे।।
अब करि कृपा मिलौ करुनामय, कहियत हौ सुखकारी।
सूर स्याम अपराध छमहु, अब समुझीं, चूक हमारी।।1087।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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