अजामिल

अजामिल की रक्षा करते विष्णु पार्षद

अजामिल कान्यकुब्ज[1]निवासी एक ब्राह्मण था। वह गुणी भी था और समझदार भी। उसने वेद-शास्त्रों का विधिवत अध्ययन प्राप्त किया था। अपने यहाँ आने वाले गुरुजन, सन्त तथा अतिथियों का सम्मान भी वह श्रद्धापूर्वक करता था। इसके साथ ही वह उनसे ज्ञान चर्चा भी किया करता था। उसके घर में नित्यप्रति देवपूजन, यज्ञ तथा ब्राह्मण भोजन कराया जाता था।

  • एक दिन अजामिल वन से पूजन सामग्री एकत्रित कर घर लौट रहा था, तब उसने एक युवक को स्त्री के साथ प्रेम संसर्ग करते देखा। अजामिल ने संस्कारवश अपने आपको यह देखने से रोकने का पूरा प्रयत्न किया, किन्तु सफल न हो सका।
  • बाद में अजामिल ने स्त्री से परिचय प्राप्त किया। यह ज्ञात होने पर कि वह वैश्या है, अजामिल प्रतिदिन उसके यहाँ जाने लगा।
  • अजामिल ने उस वैश्या से नौ संतानें प्राप्त कीं, जबकि एक संतान अभी गर्भ में थी।
  • एक दिन संतों की मण्डली ने वैश्या पर प्रसन्न होकर उससे कहा कि वह होने वाली संतान का नाम 'नारायण' रखे।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कन्नौज का प्राचीन नाम

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