"सूरसागर परिशिष्ट" श्रेणी में पृष्ठ इस श्रेणी में निम्नलिखित 76 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 276 (पिछले 200) (अगले 200)म मैं तौ आजु करी नंद कानि -सूरदास मैया तेरौ मोहन अतिहिं -सूरदास मोसी हितू न तेरै ह्वैहै -सूरदास मोहन अपनी घेरि लै ग़इयाँ -सूरदास मोहन जागि हौ बलि ग़ई -सूरदास मोहन तै माटी क्यों खाई -सूरदास मोहन प्यारै कौ सुरँग -सूरदास मोहन मन मोहि लियौ -सूरदास मोहन मोहिनि बातै करै जु -सूरदासय यह पट पीत कहाँ तै पायौ -सूरदास यहै बहुत जो बात चलावै -सूरदास या गति की माई को जानै -सूरदास या ब्रज तै दवरितु न गई -सूरदास येई है जग जीवन माधौ -सूरदासर रवितनया को सलिल गंभीर -सूरदास राजत जुगल किसोर किसोरी -सूरदास राधा भई सयानी माधौ -सूरदास राधा माधौ दोय नहीं -सूरदास राधिके बदन की बलि लहु -सूरदास राधे कत तू खरिक गई री -सूरदास राधे तेरौ रूप न आन सौ -सूरदास राधे हरि उर लागि हँसी -सूरदास रास रच्यौ बृंदावन मोहन -सूरदासल लरिकाई मैं जोवन की छवि -सूरदास लागौ मोहि या बदनबलाइ -सूरदासव विलम तजि भामिनी बिलसि -सूरदास व आगे. वे सइयाँ मेरी रैनि विदा होन लागी -सूरदास वै हरि कठिन कठिन हौ ऊधौ -सूरदास व्रज तौ नीकी जीवन जीयौ -सूरदासश श्री जमुना जी तिहारो दरस -सूरदास श्री जमुना निज दरसन दीजै -सूरदास श्री मदन मोहन जू मति -सूरदास श्री रघुबीर अनाथ बंधु -सूरदासस सखा तिहारे हितू हमारे -सूरदास सखी मेरे लोचन लोभ भरे -सूरदास सखी मैं सुनी बात इक आज -सूरदास सखी री बूँद अचानक लागी -सूरदास सखी री सावन दूलह आयौ -सूरदास सबहीं बिधि सब बात अटपटी -सूरदास सागर के धोखै हरि नागर -सूरदास सारँग-सुत-पति-तनया -सूरदास सावन माई स्याम बिना कैसै भरिऐ -सूरदास सुंदरि एक दह्यौ लिये -सूरदास सुनहु स्याम इक बात नई -सूरदास सुनि आधी सी राति मोहन मुरलि बजावै -सूरदास सुनि भइया गइया है पाई -सूरदास सुनि मधुप कौन कौ -सूरदास सुनि हरि हरि पति आजु बिराजै -सूरदास सुनौ हौ या मोहन की बैन -सूरदास सुभग सेज मै पीढ़े कुँवर -सूरदास सुरतसमै के चिह्न राधिका राजत रंग भरे -सूरदास सोइ उठी वृषभानु किसोरी -सूरदास स आगे. सोवत ग्वालनि कान्ह जगाए -सूरदास स्याम के भुजनि बीच -सूरदास स्याम तेरी मुरली मधुर धुनि बाजै -सूरदास स्याम सबै बतियाँ कहि दैहौ -सूरदास स्याम सुंदर मदन मोहन -सूरदास स्याम हौ निजु कै बिसारी -सूरदास स्यामा निसि मै सरस बनी री -सूरदास स्यामा स्याम सौ आजु बृंदाबन -सूरदासह हम न भईं बड़भागिनि बँसुरी -सूरदास हमतौ निसि दिन हरि गुन गावै -सूरदास हरि कित भए ब्रज के चोर -सूरदास हरि क्रीड़ा कापै कहि जाइ -सूरदास हरि चितवनि चित तै नहिं टरै -सूरदास हरि बिन लो लोचन मरत पियास -सूरदास हरि मुख किधौ मोहिनी माई -सूरदास हरि मुरली कै प्रेम भरे -सूरदास हलधर हरि कौं देखि रिसाने -सूरदास हेरि रे मैया हेरि रे -सूरदास हो हो होरी खेलै रँग सौ -सूरदास होरी के खिलार भावते -सूरदास हौ गई बछरा मिलावन -सूरदास हौ समीप लालन के अब -सूरदास हौ हरि यहै सिखाव सिखाऊँ -सूरदास हौं तौ आजु नंदलाल सौं -सूरदास (पिछले 200) (अगले 200)