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- देवताओं द्वारा विष्णु की स्तुति
- देवताओं द्वारा शिव से त्रिपुरों के वध हेतु प्रार्थना करना
- देवताओं द्वारा सीता की शुद्धि का समर्थन
- देवदत्त
- देवदारुवन
- देवदूत
- देवदूत द्वारा युधिष्ठिर को नरक का दर्शन कराना
- देवदूत द्वारा स्वर्गलोक के गुण-दोष तथा विष्णुधाम का वर्णन
- देवनदी
- देवनागरी सहायता
- देवन्त
- देवपूज्य
- देवप्रस्थ
- देवभाग
- देवभ्राट
- देवमत
- देवमित्र
- देवमित्रा
- देवमीढ़
- देवयाजी
- देवयानी
- देवयानी-शर्मिष्ठा का कलह
- देवयानी-शर्मिष्ठा संवाद
- देवयानी का कच से पाणिग्रहण के लिए अनुरोध
- देवयानी शुक्राचार्य से वार्तालाप
- देवर
- देवरक्षक
- देवरक्षित
- देवरक्षिता
- देवराज
- देवराज इंद्र
- देवरात
- देवरात (ऋषि)
- देवरात (बहुविकल्पी)
- देवर्षि नारद
- देवल
- देवलोक
- देववन
- देववान
- देववान (उग्रसेना)
- देववान (बहुविकल्पी)
- देववान (बहुविकल्पी)
- देववैकुण्ठनाथ
- देवव्रत
- देवव्रत (ऋषि)
- देवव्रत (बहुविकल्पी)
- देवव्रत की भीष्म प्रतिज्ञा
- देवशर्मा
- देवशर्मा का विपुल को निर्दोष बताकर समझाना
- देवसम पर्वत
- देवसेना
- देवसेनाप्रिय
- देवस्थान
- देवस्थान मुनि द्वारा युधिष्ठिर के प्रति उत्तम धर्म-यज्ञादि का उपदेश
- देवहव्य
- देवहूति
- देवहूति कह, भक्ति सो कथियै2 -सूरदास
- देवहूति कह, भक्ति सो कथियै -सूरदास
- देवहूति यह सुनि पुनि कह्यौ -सूरदास
- देवहोत्र
- देवह्रद
- देवह्रद (तीर्थ)
- देवह्रद (बहुविकल्पी)
- देवातिथि
- देवाधिप
- देवापि
- देवापि (बहुविकल्पी)
- देवापि (योद्धा)
- देवापि (राजर्षि)
- देवारण्य
- देवार्ह
- देवावृध
- देवासुर संग्राम
- देवासुर संग्राम तथा महिषासुर वध
- देवाह्रय
- देवाह्वय
- देविका
- देविका (नदी)
- देविका (बहुविकल्पी)
- देविकाकुंड
- देवी
- देवी (अप्सरा)
- देवी (बहुविकल्पी)
- देवी सत्यभामा
- देवीलोक
- देवोत्थान एकादशी
- देह-प्राण, मन-बुद्धि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देह (महाभारत संदर्भ)
- देह धरे कौ कारन सोई -सूरदास
- देह धरे कौ यह फल प्यारी -सूरदास
- देह प्राण मन बुद्धि इन्द्रियाँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देह प्राण मन वस्तु परिस्थिति -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- देहकर्ता
- देहचूर्ण
- देहरूपी कालचक्र का तथा गृहस्थ और ब्राह्मण के धर्म का कथन
- देउँ कहा तुम कहँ स्याम सुजान -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दै मैया भौंरा चक डोरी -सूरदास
- दै री मैया दोहनी, दुहिहौं मैं गैया -सूरदास
- दै री मैया दोहनी -सूरदास
- दैत्य
- दैत्यद्वीप
- दैत्यनाशी
- दैत्यसेना
- दैत्यहन्ता
- दैत्यहा
- दैत्यों का कृत्या द्वारा दुर्योधन को रसातल में बुलाना
- दैत्यों का दुर्योधन को समझाना
- दैव और पुरुषार्थ तथा पुनर्जन्म का विवेचन
- दैव की अपेक्षा पुरुषार्थ की श्रेष्ठता का वर्णन
- दैव की प्रधानता
- दैवी और आसुरी सम्पदा का फलसहित वर्णन
- दो पद्म
- दोउ कर जोरि भए सब ठाढे -सूरदास
- दोउ कर जोरि लेति जँमहाई -सूरदास
- दोउ कर जोरि लेति जँमुहाई -सूरदास
- दोउ जन भीजत अटके बातनि -सूरदास
- दोउ ढोटा गोकुल नाइक मेरे -सूरदास
- दोउ ढोटा गोकुलनायक मेरे -सूरदास
- दोउ बन तैं ब्रजधाम गए -सूरदास
- दोउ भैया जेंवत माँ आगैं -सूरदास
- दोउ भैया मैया पै माँगत -सूरदास
- दोउ वन तै व्रजधाम गए -सूरदास
- दोऊ राजत रति-रन-धीर -सूरदास
- दोऊ राजत स्यामा स्याम -सूरदास
- दोन-नाथ अब बारि तुम्हारी -सूरदास
- दोनों आप्यायित भए -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दोष (नाग)
- दोष (महाभारत संदर्भ)
- दोहनी कुण्ड काम्यवन
- दोऊ सदा एक रस पूरे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- दौनागिरि हनुमान सिधायौ -सूरदास
- दौवालिक
- दौहित्र
- द्युति
- द्युतिमान
- द्युतिमान (बहुविकल्पी)
- द्युतिमान (राजा)
- द्युमत्सेन
- द्युमत्सेन (बहुविकल्पी)
- द्युमत्सेन (राजा)
- द्युमत्सेन (शाल्व नरेश)
- द्युमत्सेन और सत्यवान का संवाद
- द्युमत्सेन का राज्याभिषेक तथा सावित्री को सौ पुत्रों और सौ भाइयों की प्राप्ति
- द्युमन्मानहारी
- द्युमान
- द्यूत (महाभारत संदर्भ)
- द्यूतकर्ता
- द्यूतक्रीडा का आरम्भ
- द्यूतक्रीडा के लिए सभा का निर्माण
- द्यौस चारि करि प्रीति सगाई -सूरदास
- द्रमिल
- द्रविड
- द्रविड (कृष्ण पुत्र)
- द्रविण
- द्रुपद
- द्रुपद-युधिष्ठिर की बातचीत एवं व्यासजी का आगमन
- द्रुपद का द्रौपदी-पाण्डवों के दिव्य रूपों की झाँकी करना
- द्रुपद का पुरोहित को दौत्य कर्म के लिए अनुमति
- द्रुपद की सम्मति
- द्रुपद के पुरोहित का कौरव सभा में भाषण
- द्रुपद के पौत्रों तथा द्रुपद और विराट आदि का वध
- द्रुपद के यज्ञ से धृष्टद्युम्न और द्रौपदी का जन्म
- द्रुपद द्वारा नगररक्षा की व्यवस्था और देवाराधन
- द्रुम
- द्रुम (किम्पुरुषों का राजा)
- द्रुम (बहुविकल्पी)
- द्रुम (राजा)
- द्रुम चढ़ि काहे न टेरौ कान्हा -सूरदास
- द्रुमसेन
- द्रुमसेन (बहुविकल्पी)
- द्रुमसेन (राजा)
- द्रुह्यु
- द्रुह्यु (बहुविकल्पी)
- द्रुह्यु (मतिनार पुत्र)
- द्रोण
- द्रोण-जयद्रथ वध
- द्रोण आदि का पराक्रम और सातवें दिन के युद्ध की समाप्ति
- द्रोण और धृष्टद्युम्न का भीषण संग्राम
- द्रोण का ग्राह से छुटकारा
- द्रोण का द्रुपद द्वारा अपमानित होने का वृत्तांत
- द्रोण का द्रुपद से तिरस्कृत हो हस्तिनापुर में आना
- द्रोण का शिष्यों द्वारा द्रुपद पर आक्रमण
- द्रोण की राजकुमारों से भेंट
- द्रोण के युद्ध के विषय में दुर्योधन और कर्ण का संवाद
- द्रोण को परशुराम से अस्त्र-शस्त्र की प्राप्ति
- द्रोण द्वारा द्रुपद को आधा राज्य देकर मुक्त करना
- द्रोण पर्व के पाठ और श्रवण का फल
- द्रोण पर्व महाभारत
- द्रोणपर्व महाभारत
- द्रोणशर्मपद
- द्रोणाचार्य
- द्रोणाचार्य और अर्जुन का घोर युद्ध
- द्रोणाचार्य और धृष्टद्युम्न का घोर युद्ध
- द्रोणाचार्य और धृष्टद्युम्न का युद्ध
- द्रोणाचार्य और युधिष्ठिर का युद्ध
- द्रोणाचार्य और युधिष्ठिर के युद्ध में युधिष्ठिर की विजय
- द्रोणाचार्य और विराट का युद्ध तथा विराटपुत्र शंख का वध
- द्रोणाचार्य और सात्यकि का अद्भुत युद्ध
- द्रोणाचार्य और सात्यकि का युद्ध
- द्रोणाचार्य और सुशर्मा के साथ अर्जुन का युद्ध
- द्रोणाचार्य का अश्वत्थामा को अशुभ शकुनों की सूचना देना
- द्रोणाचार्य का अश्वत्थामा को धृष्टद्युम्न से युद्ध करने का आदेश
- द्रोणाचार्य का अस्त्र त्यागकर योगधारणा द्वारा ब्रह्मलोक गमन
- द्रोणाचार्य का कौरवों से उत्पात-सूचक अपशकुनों का वर्णन
- द्रोणाचार्य का घोर कर्म
- द्रोणाचार्य का दु:शासन को फटकारना
- द्रोणाचार्य का दुर्योधन को उत्तर और युद्ध के लिए प्रस्थान
- द्रोणाचार्य का दुर्योधन को द्यूत का परिणाम दिखाकर युद्ध हेतु वापस भेजना
- द्रोणाचार्य का दुर्योधन को पुन: संधि के लिए समझाना
- द्रोणाचार्य का धृष्टद्युम्न से घोर युद्ध तथा उनका मूर्च्छित होना
- द्रोणाचार्य का पराक्रम
- द्रोणाचार्य का पांडवों से घोर संग्राम
- द्रोणाचार्य का युद्ध से पलायन
- द्रोणाचार्य का सेनापति के पद पर अभिषेक
- द्रोणाचार्य की पाण्डवों को उपहार भेजने की सम्मति
- द्रोणाचार्य की मृत्यु पर धृतराष्ट्र का शोक
- द्रोणाचार्य की युधिष्ठिर को जीवित पकड़ लाने की प्रतिज्ञा
- द्रोणाचार्य की रथसेना का पलायन
- द्रोणाचार्य की सम्मति
- द्रोणाचार्य की सेना का पांडव सेना से द्वन्द्व युद्ध
- द्रोणाचार्य के पराक्रम और वध का संक्षिप्त समाचार
- द्रोणाचार्य द्वारा अभिमन्यु की प्रशंसा
- द्रोणाचार्य द्वारा अर्जुन के अलौकिक पराक्रम की प्रशंसा
- द्रोणाचार्य द्वारा गरुड़व्यूह का निर्माण और युधिष्ठिर का भय
- द्रोणाचार्य द्वारा चक्रव्यूह का निर्माण
- द्रोणाचार्य द्वारा चक्रशकट व्यूह का निर्माण
- द्रोणाचार्य द्वारा चेकितान की पराजय
- द्रोणाचार्य द्वारा जरासन्धपुत्र सहदेव तथा क्षत्रधर्मा का वध
- द्रोणाचार्य द्वारा दुर्योधन की रक्षा के प्रयत्न
- द्रोणाचार्य द्वारा धृष्टकेतु का वध
- द्रोणाचार्य द्वारा पांडव पक्ष के अनेक वीरों का वध
- द्रोणाचार्य द्वारा बृहत्क्षत्र का वध
- द्रोणाचार्य द्वारा राजकुमारों की शिक्षा
- द्रोणाचार्य द्वारा वीरकेतु आदि पांचालों का वध
- द्रोणाचार्य द्वारा शिबि का वध
- द्रोणाचार्य द्वारा शिष्यों की परीक्षा
- द्रोणाचार्य द्वारा सत्यजित, शतानीक तथा वसुदान आदि की पराजय
- द्रौपदी
- द्रौपदी, सहदेव, नकुल, अर्जुन और भीमसेन का मार्ग में गिरना
- द्रौपदी-रक्षा -देवीप्रसाद शुक्ल
- द्रौपदी का अपमान
- द्रौपदी का कुन्ती से विदा लेना
- द्रौपदी का कृष्ण को अपना दु:ख सुनाना
- द्रौपदी का कृष्ण से अपने अपमान का वर्णन
- द्रौपदी का कोटिकास्य को उत्तर
- द्रौपदी का चीरहरण
- द्रौपदी का चेतावनी युक्त विलाप एवं भीष्म का वचन
- द्रौपदी का जयद्रथ से पांडवों के पराक्रम का वर्णन
- द्रौपदी का पाँचों पाण्डवों के साथ विवाह
- द्रौपदी का पाण्डवों से विवाह के संबंध में अपने-अपने विचार
- द्रौपदी का बृहन्नला और सुदेष्णा से वार्तालाप
- द्रौपदी का भीमसेन के समीप जाना
- द्रौपदी का भीमसेन के सम्मुख विलाप
- द्रौपदी का भीमसेन से अपना दु:ख निवेदन करना
- द्रौपदी का भीमसेन से अपना दु:ख प्रकट करना
- द्रौपदी का युधिष्ठिर और ईश्वर न्याय पर आक्षेप
- द्रौपदी का युधिष्ठिर को राजदण्डधारणपूर्वक शासन के लिए प्रेरित करना
- द्रौपदी का युधिष्ठिर से संतापपूर्ण वचन
- द्रौपदी का रानी सुदेष्णा के यहाँ निवास पाना
- द्रौपदी का विराट नगर में लौटकर आना
- द्रौपदी का विलाप तथा कुन्ती एवं गांधारी का उसे आश्वासन देना
- द्रौपदी का सैरन्ध्री के वेश में रानी सुदेष्णा से वार्तालाप
- द्रौपदी की मूर्छा तथा भीम के स्मरण से घटोत्कच का आगमन
- द्रौपदी के पुत्र एवं अभिमन्यु के जन्म-संस्कार
- द्रौपदी के पुत्रों द्वारा शल का वध
- द्रौपदी के विषय में द्रुपद के प्रश्न
- द्रौपदी के स्मरण करने पर श्रीकृष्ण का प्रकट होना
- द्रौपदी को धृतराष्ट्र से वर प्राप्ति
- द्रौपदी चीरहरण
- द्रौपदी जन्म
- द्रौपदी द्वारा अश्वत्थामा के वध का आग्रह
- द्रौपदी द्वारा उत्तर से बृहन्नला को सारथि बनाने का सुझाव
- द्रौपदी द्वारा कीचक को फटकारना
- द्रौपदी द्वारा पुरुषार्थ को प्रधानता
- द्रौपदी द्वारा प्रह्लाद-बलि संवाद वर्णन
- द्रौपदी द्वारा सत्यभामा को पतिसेवा की शिक्षा
- द्रौपदी द्वारा सत्यभामा को सती स्त्री के कर्तव्य की शिक्षा
- द्रौपदी सहित पांडवों का महाप्रस्थान
- द्रौपदी सहित भीम-अर्जुन का अपने डेरे पर जाना
- द्रौपदी स्वयंवर
- द्रौपदी हरण
- द्रौपदी हरि सों टेरि कही -सूरदास
- द्रौपदीपुत्र प्रतिविन्ध्य द्वारा चित्र का वध
- द्रौपदीपुत्र श्रुतकर्मा द्वारा चित्रसेन का वध
- द्वयक्षर ब्रह्मरूप
- द्वय्क्ष
- द्वादशभुज
- द्वादशाक्ष
- द्वादशात्मा
- द्वादशाह यज्ञ
- द्वादशी
- द्वादशी तिथि को उपवास तथा विष्णु की पूजा का माहात्म्य
- द्वादशी व्रत का माहात्म्य
- द्वापर
- द्वापर (सूर्य)
- द्वापर युग
- द्वार ठाढ़े हे द्विज बावन -सूरदास
- द्वार वृषभानु के आजु -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- द्वारका
- द्वारका कुण्ड काम्यवन
- द्वारका निर्माण
- द्वारका में अर्जुन और वसुदेव की बातचीत
- द्वारका में युद्ध सम्बंधी तैयारियों का वर्णन
- द्वारकाकारक
- द्वारकागेहदर्शी
- द्वारकापुरी का वर्णन
- द्वारकेश
- द्वारपाल
- द्वारपाल (पौराणिक स्थान)
- द्वारपाल (बहुविकल्पी)
- द्वारावती
- द्वारिका
- द्वारिकाधीश
- द्वारिकाधीश -सुदर्शन सिंह चक्र
- द्वारिकाधीश मंदिर द्वारका
- द्वारिकाधीश मंदिर मथुरा
- द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा
- द्वारैं टेरत हैं सब ग्वाल कन्हैया -सूरदास
- द्विज कहियौ जदुपति सौ बात -सूरदास
- द्विज कहियौ हरि कौ समुझाइ -सूरदास
- द्विज पाती दै कहियौ स्यामहिं -सूरदास
- द्विज बेगि धावहु कहि पठावहु -सूरदास
- द्विज सौभरि
- द्विजै संवृत
- द्विजो वामन
- द्वित
- द्वितीया
- द्विपरार्ध
- द्विभुज
- द्विविद
- द्विविध करि क्रोध हरि पुरी आयौ -सूरदास
- द्वीपक
- द्वेष (महाभारत संदर्भ)
- द्वै मैं एकौ तौ न भई -सूरदास
- द्वै लोचन तुम्हरै द्वै मेरै -सूरदास
- द्वै लोचन साबित नहिं तेऊ -सूरदास
- द्वैत वन
- द्वैतवन
- द्वैतवन में दुर्योधन के सैनिकों तथा गंधर्वों में कटु संवाद
- द्वैतवन में भीमसेन का हिंसक पशुओं को मारना
- द्वैतसरोवर
- द्वैपायन व्यास
- द्वैपायन व्यास और एक कीड़े का वृत्तान्त
- द्वैमातुर
- द्वैरथ युद्ध