बना दो विमल-बुद्धि भगवान -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

Prev.png
राग आसावरी - तीन ताल


बना दो बिमल-बुद्धि भगवान।
तर्कजाल सारा ही हर लो, हरो सुमति-‌अभिमान।
हरो मोह, माया, ममता, मद, मत्सर, मिथ्या मान॥
कलुष काम-मति कुमति हरो, हे हरे! हरो अज्ञान।
दम्भ, दोष, दुर्नीति हरण कर करो सरलता दान॥
भोग-योग, अपवर्ग-स्वर्ग की हरो स्पृहा बलवान।
चाकर करो चारु चरणों का नित ही निज जन जान॥
भर दो हृदय भक्ति-श्रद्धा से, करो प्रेमका दान।
कभी न करो दूर निज पद से मेटो भव का भान॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः