त्रिंश (30) अध्याय: अनुशासन पर्व (दानधर्म पर्व)
महाभारत: अनुशासन पर्व: त्रिंश अध्याय: श्लोक 59-67 का हिन्दी अनुवाद
राजेन्द्र! क्षत्रिय शिरोमणि! इस प्रकार राजा वीतहव्य क्षत्रिय होकर भी भृगु के प्रसाद से ब्राह्मण हो गये। महाराज! इसी तरह मैंने गृत्समद के वंश का भी विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। अब और क्या पूछ रहे हो?
इस प्रकार श्रीमहाभारत अनुशासन पर्व के अन्तर्गत दानधर्म पर्व में वीतहव्य का उपाख्यान नामक तीसवां अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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